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शिक्षा प्रणाली में सांस्कृतिक विरासत, ज्ञान एवं कौशल का करें समन्वय : राज्यपाल श्री पटेल

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जीवन की कला सीखने और सिखाने का अवसर है नई शिक्षा नीति में
राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल, रविंद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में शामिल हुए

 

राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि नई शिक्षा नीति ने जीवन की कला सीखने और सिखाने का अवसर दिया है। देश का युवा ज्ञान शक्ति के बल पर जीवन में जो कुछ भी बनना चाहता है, करना चाहता है, अब कर सकता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को शिक्षा प्रणाली में भारत की परम्परा, विरासत, सांस्कृतिक मूल्यों, तकनीकी ज्ञान और कौशल विकास में समन्वय स्थापित करने के प्रयास करने चाहिए। राज्यपाल श्री पटेल ने आज रविंद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह को संबोधित किया।

राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि विद्यार्थियों की मौलिकता को निखारने के लिए शिक्षा प्रणाली में आवश्यक बदलाव का आदर्श, विश्वविद्यालय प्रस्तुत करें। ऐसा ईको सिस्टम तैयार करें जिसमें छात्र-छात्राओं को समस्याओं, चुनौतियों का सामना करने और उन्हें अवसरों में बदलने के व्यवहारिक ज्ञान का अभ्यास और अनुभव प्राप्त हो। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के रूप में युवाओं को उनके सपने साकार करने का अभूतपूर्व अवसर दिया है। राज्यपाल श्री पटेल ने रविंद्रनाथ टैगोर का स्मरण किया। उनको नमन करते हुए कहा कि भारतीय चिंतन और दर्शन को उन्होंने साकार किया। उनकी चिंतन की धारा में वेदों से विवेकानंद तक की भारतीय ज्ञान सम्पदा समाहित है। कार्यक्रम में राज्यपाल श्री पटेल ने दीक्षांत स्मारिका का विमोचन किया। कुलाधिपति श्री संतोष चौबे ने राज्यपाल को शोध कौशल विकास पुस्तिका भेंट की।

समारोह के मुख्य वक्ता भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री मुकुल कानिटकर ने कहा कि दीक्षांत समारोह में जीवन को दिशा देने के अवसर मिलते हैं। उन्होंने कहा कि भ्रम से परे जाकर सत्य को पहचानने की क्षमता ही विद्या है। शिक्षित जन का दायित्व है कि वह अर्जित ज्ञान से राष्ट्र और समाज के निर्माण के लिए उत्पादक कार्यों से स्वयं को जोड़ें और राष्ट्र एवं समाज के निर्माण में योगदान दें। उन्होंने कहा वर्तमान समय में राष्ट्र को विश्वगुरु के रूप में प्रतिष्ठित करने की अनुकूल परिस्थितियाँ हैं। उन्होंने नवदीक्षितों का आह्वान किया कि वह जीवन का ध्येय राष्ट्र निर्माण का संकल्प बनायें।

निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष श्री भरत शरण सिंह ने विभिन्न दृष्टांतों के माध्यम से विद्यार्थियों को ज्ञान के व्यवहारिक स्वरूप की जानकारी देते हुए कहा कि देश के कल्याण का उत्तरदायित्व ग्रहण कर भावी जीवन की दिशा निर्धारित करें। समाज में अच्छे कार्यों से स्वयं, परिवार, समाज और शिक्षा संस्थान का नाम रोशन करें।

विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री संतोष चौबे ने बताया कि विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत 9 सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस स्थापित किए गए हैं, जो विभिन्न विषयों में शोध कार्य कर रहे हैं। विश्वविद्यालय, रायसेन और हरदा ज़िलों में उन्नत कृषि और लघु उद्योगों के विकास में सहयोग कर रहा है। विश्वविद्यालय में, प्रधानमंत्री कौशल केंद्र, दीनदयाल अक्षय ऊर्जा केंद्र और नीति आयोग के सहयोग से, अटल इन्क्यूबेशन सेन्टर संचालित है। विश्वविद्यालय का स्थान एन.आई.आर.एफ रैंकिंग में भी 100 से 150 के बीच है।

कुलपति प्रोफेसर ब्रह्म प्रकाश पेठिया ने विश्वविद्यालय का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। समारोह में 23 विद्यार्थियों को स्नातक, 13 को स्नातकोत्तर, 25 को पीएचडी और तीन को मानद उपाधियाँ प्रदान की गई। कार्यक्रम में 25 छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। स्वागत उद्बोधन प्रयोगी निकाय आईसेक्ट के सचिव श्री सिद्धांत चतुर्वेदी ने दिया। संचालन कुलसचिव श्री विजय सिंह और श्री विनय उपाध्याय ने किया।