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क्यों मनाया जाता है छठ,कब से शुरू होगा व्रत,छठी मइया कौन है,इन चीजों के बिना अधूरा है, छठ का व्रत

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 17 नवंबर से लोक आस्था का महापर्व छठ शुरू हो गया। ‘नहाय खाय’ या ‘कद्दू भात’ से इसकी शुरुआत हुई। शनिवार को खरना होगा।

यह लोक आस्था का महापर्व है। मतलब, यह बिहार और पूर्वांचल के लोगों की आस्था का प्रतीक है। आस्था पर न तो सवाल किया जा सकता है और न ही इसका कोई जवाब हो सकता है। जहां तक महत्व का सवाल है तो यह प्रकृति को चलाने वाले सूर्यदेव की उपासना का पर्व है। यह देवी कात्यायनी से आशीर्वाद मांगने का पर्व है। छठ दिखाता है कि जिसका अंत है, उसका उदय भी होगा।

यह बिहार के सनातन हिंदू धर्मावलंबियों के घर-घर में होने वाला पर्व है। जो अपने घर में नहीं करते, वह दूसरों के घर में जाकर करते हैं। जो दूसरों के घर पर नहीं जाते, वह घाट पर जाकर अर्घ्य देते हैं। कोई मनोकामना के साथ करता है, कोई पूरा होने पर करता है तो बहुत सारे लोग यूं ही करते हैं आस्था के कारण। मनोकामना छठी मइया पूरी करती हैं और आस्था सूर्यदेव के प्रति दिखाते हैं।

सूर्यदेव तो इस प्रकृति के ऊर्जा स्रोत हैं। छठी मइया देवी कात्यायनी हैं। यह सूर्यदेव की बहन हैं। नवरात्र में भी हम देवी कात्यायनी की पूजा षष्ठी को करते हैं, मतलत नवरात्र के छठे दिन। सनातन हिंदू धर्म में जन्म के छठे दिन भी देवी कात्यायनी की ही पूजा होती है। इन्हें संतान प्राप्ति के लिए भी प्रसन्न किया जाता है। संतान के चिरंजीवी, स्वस्थ और अच्छे जीवन के लिए देवी कात्यायनी को प्रसन्न किया जाता है। छठी मइया यही हैं।छठ में सूर्यदेव की पूजा तो घाट पर होती है, खरना पूजा पहले छठी मइया के लिए ही होती है।

छठ पूजा सामग्री लिस्ट

  • पत्ते लगे पांच गन्ने
  • हरा पानी वाला नारियल
  • बांस का सूप और डाला (डलिया, टोकरी)
  • केला, शरीफा, शकरकंदी, डाभ नींबू, सिंघाड़ा, नाशपाती
  • घी, धूप, अगरबत्ती, बाती, कपूर, दीपक, अक्षत, पीला (ऑरेंज) सिंदूर, कुमकुम, शहद चंदन, सिंदूर, कलावा
  • पान के पत्ते, सुपारी, कच्चा हल्दी, अदरक और मूली का पौधा
  • मिठाई, गेंहू और चावल का आटा, गुड़, ठेकुआ, आटे का लड्डू
  • दूध और जल के लिए एक ग्लास या लोटा, कलश

 छठ पूजा 2023 की महत्वपूर्ण तिथियां

  • 17 नवंबर 2023- नहाय-खाय
  • 18 नवंबर 2023- खरना
  • डूबते सूर्य को अर्घ्य- 19 नवंबर 2023
  • उगते सूर्य को अर्घ्य- 20 नवंबर 2023