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शुद्ध धारा दिवस “सुजल शक्ति अभियान का तीसरा दिन

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जल स्रोतों की गुणवत्ता के लिए कारगर गतिविधियां हुई

मध्यप्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षित पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिऐ “सुजल-शक्ति अभियान” की शुरूआत की गई है। इस अभियान का उद्देश्य हर घर को स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराना, जलापूर्ति प्रणालियों को सुदृढ़ करना और सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देना है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और अन्य संबंधित विभागों के समन्वय से इस अभियान का क्रियान्वयन किया जा रहा है। जल संरक्षण और सतत जल प्रबंधन को बढ़ावा देने वाले इस अभियान का मुख्य थीम “जल हमारा जीवन धारा” रखा गया है।

सुजल-शक्ति अभियान के अंतर्गत 30 सितंबर 2024 को ‘शुद्ध-धारा दिवस’ के रूप में मनाया गया, जिसका उद्देश्य जल स्रोतों की गुणवत्ता का परीक्षण और स्वच्छता का निरीक्षण करना है। प्रदेश के चिन्हित ग्रामीण क्षेत्रों में जलापूर्ति से जुड़े हर पहलू का बारीकी से निरीक्षण किया गया जिससे पानी की स्वच्छता और गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके।

पंप ऑपरेटर, स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के सदस्य, ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति (VWSC) के प्रतिनिधि और अन्य प्रशिक्षित व्यक्तियों ने जल परीक्षण किया। फील्ड टेस्ट किट (FTK) का उपयोग करके जल गुणवत्ता का परीक्षण किया गया। ग्रामीण समुदाय के लोगों ने इस कार्य में सक्रिय सहभागिता की।

प्रमुख गतिविधियाँ

शुद्ध-धारा दिवस के दौरान पंचायत भवनों में जल गुणवत्ता की रिपोर्ट प्रदर्शित की गई। इस रिपोर्ट में पानी के नमूने कहां से लिए गए, उनकी गुणवत्ता क्या रही, और पानी की स्वच्छता को लेकर क्या सुधारात्मक कदम उठाए गए हैं, इसकी जानकारी दी गई। पंचायत सदस्यों, ग्राम जल स्वच्छता समिति के सदस्यों और एसएचजी के सदस्यों ने साथ मिलकर गांव के विभिन्न स्रोतों के जल का परीक्षण किया, जिसमें कम से कम पांच घरों, स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों और पंप हाउस का पानी शामिल था।

जल परीक्षण के दौरान किसी स्रोत में दूषण पाए जाने पर नमूने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की प्रयोगशालाओं में आगे की जांच के लिए भेजा गया। दूषित जल स्रोतों पर सुधारात्मक कार्यवाही की जाएगी। फील्ड टेस्ट किट से नियमित जल गुणवत्ता परीक्षण की व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए एक कार्य योजना भी तैयार की गई।

जागरूकता और सामुदायिक सहभागिता

इस अभियान के तहत ग्रामीण समुदाय को जागरूक करने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें जल संरक्षण, सुरक्षित पेयजल की उपलब्धता और जलजनित बीमारियों से बचाव के उपायों पर चर्चा की गई। महिलाओं, युवाओं और स्वयंसेवी संगठनों को भी इस अभियान में सक्रिय रूप से शामिल किया गया। यह सुनिश्चित किया गया कि हर घर में पानी की गुणवत्ता को नियमित रूप से जांचा जाए और समुदाय के लोग जल संसाधनों की स्वच्छता प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाएं।