उज्जैनमहाकाल मंदिर से हरिहर मिलन के लिए शुक्रवार रात 11 बजे शाही ठाठबाट के साथ भगवान महाकाल की सवारी निकली ,कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी उपरांत चतुर्दशी के संधि काल में शनिवार रात 12:45 बजे गोपाल मंदिर में हरिहर मिलन हुआ। हर भगवान महाकाल ने हरि श्री द्वारकाधीश गोपाल जी को सृष्टि का भार सौंपा। भगवान महाकाल की ओर से गोपाल जी को बिल्वपत्र की माला अर्पित की गई। वहीं, गोपाल जी की ओर से भगवान महाकाल को तुलसी की माला पहनाई गई। दो देवों के मिलन का अद्भुत दृश्य देखने के लिए गोपाल मंदिर के बाहर हजारों भक्त मौजूद थे। भक्तों ने प्रतिबंध के बावजूद जमकर आतिशबाजी भी की।
पुलिस बैंड की मंगलमय धुन के साथ भगवान की सवारी रात करीब 12 बजे गोपालमंदिर पहुंची। मंदिर के सभामंडप में गोपाल जी के सम्मुख भगवान महाकाल को विराजित कर दोनों मंदिरों के पुजारी ने परंपरा अनुसार पूजा अर्चना की। महाकाल मंदिर के पुजारी ने भगवान महाकाल की ओर से गोपाल जी को बेलपत्र की माला, वस्त्र, मिष्ठान सूखे मेवे आदि भेंट किए।
गोपाल मंदिर के पुजारी ने भगवान गोपाल जी की ओर से भगवान महाकाल को तुलसी की माला अर्पित की। साथ ही वस्त्र, मिष्ठान, मेवे आदि भेंट करके अतिथि सत्कार की परंपरा निभाई। हरिहर मिलन के उपरांत रात 2 बजे भगवान महाकाल की सवारी पुन: महाकालेश्वर मंदिर की ओर रवाना हुई।
भगवान विष्णु को प्रसन्न करना है तो
25 नवंबर, 2023 को मध्यरात्रि (निशीथ काल) के दौरान भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इस दौरान भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए विष्णु सहस्त्रनाम के साथ-साथ ‘श्री नारायण स्तोत्र’ का पाठ करना बेहद फलदायी होता है