Home धर्म-एवं-ज्योतिष गीता के 10 उपदेश से होगा सभी समस्याओं का समाधान

गीता के 10 उपदेश से होगा सभी समस्याओं का समाधान

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भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि कर्मों का फल हमेशा मिलता है इसलिए मनुष्य को अपने जीवन में सदैव ही सतकर्म करते रहने चाहिए , इसके अलावा भगवान श्री कृष्ण ने गीता में और क्या कहा है, आइए जानते हैं भगवान श्री कृष्ण के द्वारा दिए गए गीता के 10 उपदेश
1.क्रोध पर काबू पाना
गीता में लिखा है कि अगर आप सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको सदैव अपने गुस्से पर काबू रखने की आवश्यकता है।क्रोध हमेशा बुद्धि को हर लेता है और बुद्धि को भ्रमित करने का कार्य करता है। जब बुद्धि भ्रमित होती है तो मनुष्य तर्क देने में असमर्थ हो जाता है। इसी कारण से व्यक्ति का पतन होता है और वह जीवन में सफलता प्राप्त नही कर पाता।
2.नजरिये में बदलाव
जो व्यक्ति अपने ज्ञान और कर्म को एक ही दृष्टि से देखता है। उसका नजरिया बिल्कुल सही है। लेकिन जो व्यक्ति ज्ञान और कर्म को एक ही दृष्टि से नही देख पता वह ज्ञानी भी अज्ञानी है और उसका कर्म भी सिर्फ नाम मात्र का ही कर्म है। जिससे उसे किसी भी प्रकार का लाभ प्राप्त नही हो सकता।
3. मन को न भटकने देना
मनुष्य को किसी भी कार्य को करने से पहले अपने मन पर पूर्ण नियंत्रण रखना चाहिए। अगर वह ऐसा नही कर पाता तो उसका मन उस दुश्मन की तरह है। जो हर समय उसे मारने के तैयार रहता है। इसलिए किसी भी कार्य को करने से पहले मनुष्य को अपने मन पर नियंत्रण अवश्य रखना चाहिए।
4. आत्म मंथन का योग
आत्म ज्ञान एक ऐसा ज्ञान है जो अज्ञानता के अंधकार को नष्ट कर देता है। जीवन में सही और गलत को पहचानने के लिए मनुष्य को आत्म मंथन अवश्य करना चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं करता तो वह हमेशा अज्ञानता के अंधकार में भटकता रहेगा। इसलिए प्रत्येक मनुष्य को अत्म मंथन अवश्य करना चाहिए।
5.स्मरण शक्ति से निर्माण
गीता में कहा गया है कि मनुष्य जिस प्रकार की सोच रखता है। उसका स्वाभाव भी उसी प्रकार का ही हो जाता है। इसलिए मनुष्य को हमेशा अपनी सकारात्मकता और नकारात्मकता दोनों को पहचान कर ही कोई कार्य करना चाहिए। मनुष्य अपनी सोच को बदलकर परिर्वतन की और बढ़ सकता है।
6.कर्मों का फल
गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि मनुष्य जिस प्रकार के कर्म करता है। उसे उसी के अनुरूप ही फल प्राप्त होते हैं। यदि वह सतकर्म करता है तो उसे अच्छे फल और वह दुष्कर्म करता है तो उसे बुरे फलों की प्राप्ति होती है। इसलिए मनुष्य को सदा ही सतकर्म करते रहने चाहिए।
7. सफलता के लिए लगातार कोशिश करना
गीता में कहा गया है कि मनुष्य को किसी भी कार्य के लिए लगातार प्रयत्न करते रहना चाहिए। चाहे वह जितनी बार भी असफल हो। असफलता मात्र एक परिकल्पना है। इसलिए हमें अपनी योग्यता को पहचान कर ही उसके अनुरूप कार्य करना चाहिए।जब तक हम सफल न हो जाएं। हमें लगातार उस काम को करने का प्रयत्न करते रहना चाहिए।
8.तनाव को अपने ऊपर हावी न होने देना
गीता में भगवान श्री कृष्ण के द्वारा कहा गया है कि जब भी मनुष्य धर्म के विरूद्ध कोई कार्य करता है तो उसे तनाव मिलता ही है।इसलिए प्रकृति और धर्म के विरूद्ध कोई भी ऐसा कार्य न करें। जिससे आप तनाव ग्रस्त हो। इसलिए किसी भी कार्य को करने के लिए चिंता नही चिंतन किजिए।
9.इस प्रकार करें कोई काम
गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि किसी भी काम को करने के लिए निष्क्रियता अत्यंत आवश्यक है। जो व्यक्ति अपने सामर्थ्य, बुद्धि और विवेक से कार्य करता है।वही व्यक्ति जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है। इसलिए अपने कार्य में निष्क्रियता अवश्य रखें।
10. प्रत्येक काम मिलती है खुशी
गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि हमेशा अपने कार्यों में खुशी ढुंढे। बिना खुशी के किया गया कार्य कभी भी उचित परिणाम नहीं दे सकता। इसलिए प्रत्येक मनुष्य को अपने काम से प्रेम करना चाहिए और उसमें खुशी ढुंढनी चाहिए।